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परीक्षा पे चर्चा... रायपुर की युक्तामुखी का पीएम मोदी से सवाल: छोटी-छोटी जीत से कैसे रहें खुश

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर के मायाराम सुरजन स्कूल की छात्रा युक्तामुखी साहू ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान PM मोदी से सवाल किया। छात्रा ने पी...


रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर के मायाराम सुरजन स्कूल की छात्रा युक्तामुखी साहू ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान PM मोदी से सवाल किया। छात्रा ने पीएम से पूछा कि- 'हम छोटी-छोटी जीत से खुश कैसे रहें? मैं हर चीज में ज्यादा नेगेटिव हो जाती हूं।'

PM मोदी ने युक्तामुखी से पूछा, 'आप खुद सोचती हैं कि चीजें नेगेटिव हैं, या कोई और आपको ऐसा महसूस कराता है?' इसके जवाब में युक्तामुखी ने बताया कि वह 10वीं में 95% की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन 93% आने पर बहुत डिप्रेस्ड हो गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सोमवार को ‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ में स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और टीचर्स से बातचीत की। इस इवेंट का मकसद स्टूडेंट्स को एग्जाम स्ट्रेस से बचाना और उन्हें मोटिवेट करना है।

पीएम बोले- टारगेट ऐसा बनाएं, जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में नहीं

युक्तामुखी साहू के सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं तो इसे सक्सेस मानता हूं, टारगेट ऐसा बनाएं, जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में ना हो...पहले तो मैं आपको बधाई देता हूं कि आपने अपनी ताकत से से 2 पॉइंट ज्यादा का टारगेट रखा, ये बुरा नहीं है और देखिए अगली बार अगर आप 97 का टारगेट रखेंगी तो 95 जरूर ले आएंगी।

आप पर गर्व इस बात का है कि आपने 95 टारगेट रखा, आपने 97 का नहीं रखा, आपने 99 का नहीं रखा, आपने 100 का नहीं रखा। 95 की रखा क्या आपको अपने पीछे भरोसा था, एक ही चीज को आप अगल तरीके से देख सकते हैं।

ये सवाल परीक्षा पर चर्चा के दौरान चैप्टर 13 रियलाइज योर पोटेंशियल, अचीविंग टारगेट में युक्तामुखी ने पूछे। हर बार से इस बार परीक्षा पर चर्चा अलग रही। मंच पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ने के बजाय छात्रों से खुले माहौल में चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बोर्ड परीक्षा से पहले होने वाले तनाव और डर को कम करने के लिए आठवीं बार परीक्षा पे चर्चा की।

पीएम मोदी के परीक्षा टिप्स पॉइंट्स 

क्रिकेटर से सीखें – शोर मत सुनो, सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान दो

क्रिकेटर की तरह सिर्फ बॉल (लक्ष्य) पर ध्यान दें, बाहरी दबाव को नजरअंदाज करें।

पढ़ाई पर फोकस करें, दूसरों की राय या सामाजिक दबाव को नजरअंदाज करें।

खुद को चुनौती दें – खुद से मुकाबला करें

हर बार अपने आप को बेहतर बनाने का संकल्प लें।

अपने सपनों को पहचानें और उनके लिए मेहनत करें।

सच्चे लीडर बनें – ‘जहां कम, वहां हम’

लीडर बनने के लिए दूसरों की मदद करना और खुद को उदाहरण बनाना जरूरी है।

टीमवर्क और जिम्मेदारी निभाना सीखें।

सिर्फ किताबों में मत उलझो, खुला आसमान चाहिए

पढ़ाई जरूरी है, लेकिन साथ ही एक्स्ट्रा एक्टिविटीज़ भी करनी चाहिए।

बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सीखने दें।

समय प्रबंधन सबसे जरूरी

24 घंटे सबके पास होते हैं, फर्क सिर्फ उसके सही इस्तेमाल से पड़ता है।

बेकार की गपशप और समय बर्बाद करने से बचें।

मन की बात शेयर करें – तनाव को दूर करें

अपनी दुविधाएं और समस्याएं परिवार और दोस्तों से साझा करें।

बातचीत करने से डिप्रेशन और स्ट्रेस कम होगा।

मेडिटेशन और प्राणायाम अपनाएं

ध्यान और योग से मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।

लॉफ्टर थेरेपी अपनाएं, खुश रहना भी जरूरी है।

पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों का प्रेशर न बढ़ाएं

माता-पिता बच्चों की रुचियों को समझें और उन्हें जबरदस्ती करियर न थोपें।

तुलना करने की बजाय बच्चों की खूबियों को पहचानें और प्रोत्साहित करें।

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