नई दिल्ली। डीजल और पेट्रोल वाहनों की भरमार से शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण नारकीय होते जीवन को सुधारने के लिए मोदी सरकार बड़ी योजना चलाने...
नई दिल्ली। डीजल और पेट्रोल वाहनों की भरमार से शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण नारकीय होते जीवन को सुधारने के लिए मोदी सरकार बड़ी योजना चलाने जा रही है। देश के दस लाख से ज्यादा आबादी वाले 65 शहरों में एक लाख ई-बसें चलाने की तैयारी है। भारत शहरी मेगा बस मिशन योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। नए साल (2025) में 1.75 लाख करोड़ की लागत से यह योजना लॉन्च हो जाएगी। यह नई योजना मोदी सरकार की पिछले साल पीपीपी मॉडल पर शुरू हुई। पीएम ई-बस सेवा का ही विस्तार है। पीएम ई-बस योजना में तीन लाख आबादी वाले शहरों को 10 हजार ई-बसों से लैस करने की तैयारी थी।
प्रदूषण नियंत्रण में होगा कारगर
यह योजना कई लक्ष्यों को साधने के लिए चलाई जाएगी। एक लक्ष्य तो शहरों को प्रदूषण से निजात दिलाना है, दूसरे लोगों को निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक परिवहन की तरफ आकर्षित करना है। केंद्र सरकार की कोशिश 2030 तक मोटर चालित यात्राओं में 60 प्रतिशत और गैर मोटर चालित यात्राओं में सार्वजनिक परिवहन को कम से कम 50 प्रतिशत बढ़ाने का है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय शहरों में 56 प्रतिशत से अधिक यात्राएं पांच किमी से कम लंबाई की होती हैं।
पांच साल तक चलेगी योजना
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस योजना पर 2025-30 तक कार्य होगा। कुल 1.75 लाख करोड़ में से 80,000 करोड़ रुपए बसों के संचालन पर खर्च होंगे और 45,000 करोड़ रुपए की लागत से बस स्टॉप सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का विस्तार होगा। कम दूरी की यात्रा पैदल या साइकिल से तय करने के लिए योजना के तहत कुल पांच हजार किमी फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाया जाना है।
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