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जंगलों में लगी आग, सागौन के पेड़ों से लेकर आयुर्वेदिक औषधियां जलकर हुईं ख़ाक

  जंगलों की सुरक्षा करना सबकी जिम्मेदारी है.’ ये सब स्लोगन केवल दीवारों पर लिखवा कर वन विभाग (Forest Department) चैन की नींद सो रहा है. मनेन...

 


जंगलों की सुरक्षा करना सबकी जिम्मेदारी है.’ ये सब स्लोगन केवल दीवारों पर लिखवा कर वन विभाग (Forest Department) चैन की नींद सो रहा है. मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur) जिले के मनेन्द्रगढ़ के अंतर्गत आने वाले कुँवारपुर वन परिक्षेत्र में लंबे समय से जंगलों में आग (Forest Fire) लगी हुई है. लेकिन वन विभाग का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है. अगर जल्दी ही जंगलों की आग को नहीं बुझाया गया तो काफी क्षति हो सकती है.


आग बुझाने का प्रयास भी नहीं कर रहा विभाग

कुंवारपुर वन परिक्षेत्र के बीट नंबर 1267 के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है. इससे कई पौधे जलकर राख हो गए हैं. हवा के झोंकों के साथ जंगल लगातार जल रहे हैं. आग की लपटें उठती देख वन विभाग आग बुझाने का प्रयास भी नहीं कर रहा है. अगर आग पर काबू नहीं पाया गया तो पूरा जंगल खत्म हो जाएगा. स्थानीय ग्रामीणों के सूचना देने के बाद भी वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची.


ग्रामीणों की शरारत से लगी आग

दरअसल, जनकपुर के मनेन्द्रगढ़ रोड के किनारे से पेंड्राटोल नामक जगह पर सागौन के हजारों वृक्ष लगे हुए हैं. इस जंगल में गर्मी और पतझड़ के कारण सूखे पत्तों की भरमार हो जाती हैं. कुछ ग्रामीण शरारत के तौर पर जंगल में आग लगा देते हैं. इससे उनके घरों के तरफ जंगली जानवर भी नहीं आते हैं. लेकिन इस बार ये आग अचानक धधक उठी.


वन समिति भी है सुस्त

विभाग स्तर पर जंगलों को सुरक्षित करने के लिए वन समिति भी बनाई गई है, लेकिन आग को बुझाने में समिति की सक्रिय भूमिका दिखाई नहीं दे रही है. जंगलों में सागौन के वृक्ष हैं. आग से भारी मात्रा में सागौन के पौधे नष्ट हो रहे हैं. वन समितियों के लिए तेंदू के पत्ते रोजगार का साधन हैं. इसी तरह आयुर्वेद में उपयोगी बहुत-सी जंगली वनस्पति भी जलकर राख हो गई

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