Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest
//

जल संकट से राहत की दिशा में दंतेवाड़ा की अनोखी पहल: मोर गांव मोर पानी अभियान

  रायपुर, 28 जून 2025 जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में राहत पहुंचाने की दिशा में दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले ने “मोर गांव मोर पानी महा...

 


रायपुर, 28 जून 2025 जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में राहत पहुंचाने की दिशा में दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले ने “मोर गांव मोर पानी महा अभियान” के तहत उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह राज्य शासन की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना है। इस क्रम में कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत के मार्गदर्शन में इस अभियान में आधुनिक जीआईएस आधारित रिज टू वैली अप्रोच अपनाते हुए 2,965 जल संरचनाओं का चयन किया गया है, जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में जिले की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति समुदाय को जागरूक एवं सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित करना है। लोगों को पानी का महत्व को समझाते हुए भूजल संवर्धन में सहभागी बनने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस क्रम में नरेगा के तहत गैबियन स्ट्रक्चर, कंटूर ट्रेंच स्टोन चेक डेम वृक्षारोपण आदि कार्याे का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसे जिले में पर्यावरण संरक्षण एवं जल प्रबंधन को सशक्त आधार मिलेगा। 

 जिले में अब तक 1,751 कम लागत वाली तथा 71 उच्च लागत की जल संरचनाएं सफलतापूर्वक मनरेगा के अंतर्गत निर्मित की जा चुकी हैं, जिन पर कुल 450.04 लाख का व्यय हुआ है। इसके अतिरिक्त, जिले द्वारा 402 नई जल संरचनाओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इनका निर्माण कार्य जोरों पर है, जिन्हें अगले 15 दिनों के भीतर पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। यह सभी प्रयास वर्षा ऋतु से पहले पूरे किए जा रहे हैं ताकि अधिकतम वर्षा जल का संचयन किया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों को दीर्घकालीन लाभ मिल सके। जल संरचनाओं पर निर्माण कार्य के तहत लूज बोल्डर चेक डेम, मिट्टी के बांध, गैबियन स्ट्रक्चर, फेरोसिमेंट टेंक, आरसीसी संरचनाएं, जल निकासी उपचार के विविध उपाय शामिल किए गये है। ये संरचनाएं न केवल जल संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि मृदा अपरदन रोकने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध हो रही हैं।

जन सहभागिता इस अभियान की सफलता का मूल मंत्र है। इसके अंतर्गत जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों, प्रशिक्षणों, दीवार लेखन, जल शपथ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। युवाओं को “जल सेना” के रूप में संगठित किया गया जो निर्माण कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही, मनरेगा के तहत स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देकर निर्माण कार्यों को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है।

यह अभियान केवल संरचनाओं के निर्माण तक सीमित नहीं है। इसके बहुउद्देश्यीय लक्ष्य जैसे मृदा स्वास्थ्य में सुधार, मछली पालन, कृषि और बागवानी को बढ़ावा, प्रवासन की रोकथाम, रसोई बागवानी एवं बहुफसली खेती को प्रोत्साहन देना तय किए गए है। इन प्रयासों से ग्रामीणों की आजीविका में स्थायित्व आएगा और जल संकट की समस्या पर दीर्घकालीन समाधान मिलेगा। कुल मिलाकर तकनीक, सुशासन, समुदाय और निर्माण का संगम बनकर दंतेवाड़ा एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।


No comments

दुनिया

//