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श्री रसिक वेदांताचार्य जी: ज्ञान, साधना और समाजसेवा के त्रिवेणी संगम

   जीवन परिचय  श्री पीठाधीश्वर श्री महंतश्री श्री भगवान वेदान्ताचार्य रसिक एक ऐसा स्वरूप है, जो परिचय की अपेक्षा दर्शन है। आनंद की गहराई का ...

  


जीवन परिचय 

श्री पीठाधीश्वर श्री महंतश्री श्री भगवान वेदान्ताचार्य रसिक एक ऐसा स्वरूप है, जो परिचय की अपेक्षा दर्शन है। आनंद की गहराई का केन्द्र है अनुभव गम्य है, कि जब इस संसार में ईश्वर का अवतार होता है, जो वह किसी न किसी रूप में अपने अंश को जीवरुप में ही प्रतिष्ठित करता है और वही जीवन है, जो जीव में जी वन कर जीव बन जाता है। ।। ईश्वर अंश जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुख रासी ।।

मानस की इसी अरधाली को अपने चितंन में उतार कर सर्व समर्थ श्री आनंद कंद दयालु भगवान जी ने "श्री भगवान" को दीक्षा, शिक्षा एवं भिक्षा देकर अपनी कृपा से पीठ का उत्तराधिकारी बना दिया था।

मात्र 3 वर्ष की आयु में ही श्री भगवान के बुद्धि कौशल से सभी आश्चर्य चकित हो जाते, कुछ ही समय में श्री भगवान जी ने वेद वेदांतों और शास्त्रों  के अनेको मंत्रो में अपनी पकड़ बना ली, इसके फलस्वरूप 12 वर्ष की आयु में श्री गुरू मंत्र से पंच संस्कारी दीक्षा ग्रहण कर भक्ति मार्ग में उच्च शिक्षा के लिये काशी प्रस्थान किया और शीघ्र ही काशी हिन्दु विश्वविद्यालय (बी. एच.यू.) से 4 स्वर्ण पदक सहित वेदान्ताचार्य की उपाधि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल द्वारा प्राप्त की एवं सद्‌गुरू के आदेश से साधना हेतु ऋषिकेश प्रस्थान किया।


अपनी विशेष योग्यता के कारण माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विशेष प्रशस्ति पत्र में इन्हे रसिक की उपाधि से भी विभूषित किया गया, जो कि आनंदकंद दयालु भगवान जी की विशेष कृपा के फल स्वरूप सम्भव हो पाया दयालु भगवान जी ने साकेत धाम पीठ का पीठाधीश्वर बनाकर इन्हे चारों आश्रम  जिसमें काशी, ऋषिकेश, प्रयाग भी शामिल है की जिम्मेदारी सौंप दी,  जिसे श्री भगवान जी पूर्णदायित्व से भारत वर्ष में श्रीसंप्रदाय  वैष्णव धर्म की परम्परा द्वारा रक्षा कर यज्ञीय प्रणाली से मानस के सिद्धांतो पर चलकर  सनातन धर्मावलंबियों में हमें अपनी सत्संग वाणी प्रसाद से अनुग्रहीत कर रहे है। ज्ञातव्य हो कि वर्तमान में आर्यावर्त षड्दर्शन साधुमंडल भारत के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में पदस्थ हो कर आप श्री शंकराचार्य के षड्दर्शन प्रवाह को सर्वोपरि सिद्धान्त के अनुसार सामाजिक समरसता की दिशा में कार्य कर रहे है ।।

शैक्षणिक उपलब्धियाँ

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी से वेदांत दर्शन में  चार स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुके हैं, जो उनकी विद्वत्ता और समर्पण का प्रमाण है।  

आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान

 दमोह, मध्य प्रदेश में स्थित श्रीसाकेत धाम के पीठाधीश्वर के रूप में धार्मिक आयोजनों और सामाजिक सेवाओं में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। 

भक्तमाल , भागवत , श्री राम कथा, गणेश पुराण पर दार्शनिक सत्संग प्रदान करते हुए कार्यक्रमों के माध्यम से धर्म, संस्कृति और नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करते हैं।  

अखिल भारतीय संत परिषद के बैनर तले आयोजित धर्म संसद में काशी का गौरव बन कर मंडलेश्वरो संतो महंतो आचार्यों की अगुवाई करते हैं, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।  कुंभ महाकुंभ अर्धकुंभ में आश्रम शिविर के माध्यम से जन सेवा का कार्य किया करते है जिसमें भोजन और स्वास्थ की निःशुल्क सेवाएं भी शामिल है आप कर्नाटक, उत्तराखंड , पंजाब राजस्थान ,उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रांतों में सफल धर्म संसद के संरक्षक और संयोजन कर्ता के रूप में साधु संगम के एक मात्र विशेषज्ञ है जिसके लिए 

षड्दर्शन के प्रमुख आचार्यों ने आप के ऊपर सनातनधर्म के अंतर्गत मुख्य धारा की जिम्मेदारी सौंप रखी है जिससे जनमानस के प्रति धार्मिक उत्तरदायित्व निभा सके ।।












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